दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय साधना
साधना
////////////////
साधना करना कठिन है।। कविता का शीर्षक
तन- मन जब डूबा पीड़ा में,कैसे रोकूँ आह!कठिन है।
हँस कर सह लूँ दर्द सभी पर,रोक सकूँ न कराह कठिन है।
मकड़जाल जब हो रिश्तों का,नातों का निर्वाह कठिन है।
अपने देते दर्द हरक़दम, मिले न उचित सलाह ;कठिन है।
मिठबोले झूठों के जग में;बनी रहेगी चाह, कठिन है।
बाधाओं के बियावान में;कैसे पाऊँ राह कठिन है?
रस-लय हीन कवित्त सुने जो,कैसे बोले वाह!कठिन है।
विद्वानों की भरी सभा में, क्योंकर मिले सराह?कठिन है।
सुनीता गुप्ता कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Oct-2022 09:01 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
Reply
Supriya Pathak
20-Oct-2022 12:59 AM
Bahut khoob 💐👍
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
19-Oct-2022 11:44 PM
Nice 🌺
Reply